मछली, झींगा पालन से आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो रहे छत्तीसगढ़ के किसान-477

छत्तीसगढ़ के मछली पालन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल किसानों को खेती के साथ-साथ मछली,झींगा उत्पादन करने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।किसान खेती करने के साथ-साथ मछली तथा झींगा उत्पादन का काम भी आसानी से कर सकते हैं।  राज्य सरकार के विभागीय सहयोग से प्रदेश के हजारों किसान मछली झींगा का आधुनिक विधियों से पालन रहे हैं। मत्स्य विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसका लाभ लेकर हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। ऐसे ही विकासखण्ड जगदलपुर के ग्राम उपनपाल के लघु सीमान्त कृषक अपने पास उपलब्ध खेती में धान की उपज लेकर जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। अपनी आजीविका को चलाने के लिए ग्रामीणों ने जब समूह बनाया और मछली पालन शुरू किया तब जैसे उनकी जिंदगी ही बदल गई। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 10 अदिवासी महिलाओं का समूह बनाकर विश्वा महिला स्व सहायता समूह मारकेल का गठन किया गया। समूह के सदस्यों द्वारा स्वयं के पास उपलब्ध भूमि में खेती-किसानी करते थे, किन्तु धान की खेती में उन्हें अत्यधिक मेहनत एवं मजदूरों की कमी के कारण बहुत परेशानियां होती थी तथा प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल धान का उत्पादन करते थे, इस उत्पादन से वे संतुष्ट नहीं थे। मछली पालन मंत्री के निर्देश पर मत्स्य विभाग के द्वारा योजनाओं के प्रचार-प्रसार अन्तर्गत मछली पालन से संबंधित जानकारी उन तक पहुंची जिससे वे प्रभावित होकर अपनी आर्थिक तंगी के समाधान के लिए ग्राम पंचायत में उपलब्ध 0.58 हेक्टेयर मोढ़ा तालाब को पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य करने लगे।

मछली पालन समूह के अध्यक्ष श्री श्यामसुन्दर ने बताया कि विभागीय योजना एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत मत्स्य बीज, परिपूरक आहार, सिफेक्स, मत्स्याखेट उपकरण एवं आईसबाक्स प्रदाय कर उन्हें संसाधनांे से पूर्ण किया गया तथा विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित किये जाने वाले मछुआ प्रषिक्षण कार्यक्रम एवं तकनीकी उन्नयन प्रषिक्षण प्रदाय कर उन्हें मछली पालन की तकनीकी जानकारियां प्रदान किया गया। अब समूह द्वारा तकनीक का उपयोग कर मछली पालन किया जा रहा है जिससे समूह के सदस्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा। समूह द्वारा विगत तीन वर्षों से मछली पालन, विभागीय झींगा पालन एवं उत्पादन का कार्य किया जा रहा है जिससे समूह के सदस्यों को अच्छी आमदनी हो रही है। समूह के सभी सदस्य मछली पालन एवं विभागीय झींगा पालन योजना से लाभ लेकर आय में उत्तरोतर वृद्धि कर रहें है। विष्वा महिला स्व सहायता समूह के महिलाओं ने बताया कि मछली पालन से प्राप्त आय से अपने घरेलु उपयोग की  वस्तुओं का क्रय किया गया, मकानों की मरम्मत की गयी तथा कुछ सदस्यों द्वारा पक्का मकान भी बनवाया गया है और कुछ सदस्यों द्वारा आवष्यकता अनुसार सायकल, मोटर सायकल क्रय करने के साथ ही अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने स्कूल भी भेजा जा रहा है।

 

धार्मिक गतिविधियों को संरक्षित करते है छत्तीसगढ़ के धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री-307

बृजमोहन के अगुआई में राज्य के धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को व्यापक विस्तार मिला है। इन्होने न केवल राजिम कुम्भ, तातापानी महोत्सव जैसे आयोजनों को राष्ट्रीय पहचान दी बल्कि राज्य के बड़े-बुजुर्ग लोगों को देश के विभिन्न तीर्थों में विभागीय खर्चों पर भ्रमण भी करवाया।

धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल  के प्रयास से राज्य के गरीब बुजुर्गों के तीर्थयात्रा पर जाने के बरसों पुराना  सपना  पूरा हो रहा है। सरकार की इस योजना से ऐसे लोगों की इच्छाएं पूरी हो रही हैं जो कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते कभी तीर्थयात्रा पर शायद न जा पाते। हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण पर राजधानी रायपुर आए बस्तर जिले के विकासखंड तोंगपाल के मरकोर ग्राम पंचायत के पूर्व उपसरपंच श्री सोन सिंह कहते हैं कि धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री के प्रयास से राज्य के बुजुर्गों को बेहद खुशी और संतुष्टि मिल रही है। हर इंसान की इच्छा होती है कि वह अपने जीवन में किसी धाम या तीर्थस्थल का दर्शन कर सके। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि इस तरह की यात्रा का खर्चा वहन कर पाते। राज्य शासन की तीर्थयात्रा योजना ने जीवन का बड़ा सपना पूरा कर दिया . मरकोर के उपसरपंच रह चुके श्री सोन सिंह को पंचायत में पता चला कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना में भ्रमण पर जा सकते हैं। यात्रा का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। गांव के कुछ बुजुर्गों के साथ उन्होंने भी अपना आवेदन पंचायत में जमा कर दिया। श्री सोन सिंह बताते हैं कि मेडिकल परीक्षण के बाद हम लोग नियत तिथि को तीर्थयात्रा पर रवाना हो गए। यात्रा के दौरान उन लोगों के साथ दूसरे जिलों के लोग भी थे। तीर्थयात्रा के दौरान वे लोग नागपुर, दिल्ली, वृन्दावन, गोपपुर, भोपाल, क्षिप्रा नदी, उज्जैन एवं मंडला घूमे। इन स्थानों पर ठहरने, एवं सफर के दौरान नाश्ते और भोजन के अलावा इलाज के लिए दवाओं का भी इंतजाम था। डाक्टर भी सभी के स्वास्थ्य का ख्याल रखते थे। श्री सोन सिंह कहते हैं कि तीर्थयात्रा की उनकी इच्छा शायद उनके बच्चे भी पूरी नहीं कर पाते। सरकार की इस योजना से उनके जैसे हजारों बुजुर्गों की इच्छा पूरी हो रही है।

आज राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की संस्कृतियों की पहचान कायम हो पाई है। राज्य में आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजनों में देश-विदेश के लाखों लोग शामिल होते है। पहले छत्तीसगढ़ की पहचान केवल नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में था। लेकिन अब इसकी सांस्कृतिक छवि एक अलग ही पहचान बना रही है। इस राज्य के पास अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। राज्य के धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री ने इसके प्रचार प्रसार के अनेक प्रयास किए है। हर संस्कृतियों में उसके समाज के अतीत की कहानी छिपी होती है। इस लिए उसकी गौरवपूर्ण अनुभूति आवश्यक है।

बरसाती पानी के संरक्षण से बंजर भूमि में छाई हरियाली-932

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रयास से रायपुर जिले के सिमगा इलाके के तेरह गांवों की बंजर भूमि में हरियाली छा गयी है। उनके निर्देश पर इस इलाके बरसात के पानी को संरक्षित किया गया जिसका उपयोग सिंचाई के समय किया जाता है। सिंचाई सुविधा के अभाव में अब तक इस इलाके के तेरह गाँव बंज़र थे। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के विकासखण्ड सिमगा के तेरह गांवों की बंजर भूमि ग्रामीणों की मेहनत से लहलहाने लगी है। कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल  द्वारा संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास प्रबंधन कार्यक्रम के तहत यहां 6012-310111बारिश के जल को संग्रहित करने के लिए कराए गए विभिन्न कार्यो से तीन हजार 800 हेक्टेयर बंजर भूमि पर अब हरियाली छा गई है और वहां का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ा है।

बृजमोहन के निर्देश पर विभाग द्वारा बारिश के पानी को संग्रहित कर उसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग भूमि को उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से रायपुर जिले के वृष्टि छाया वाले सिमगा विकास खण्ड के 13 गावों में एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किया गया। चार वर्षो में यहां 225 लाख रूपए खर्च कर 25 नए तालाबों का निर्माण, 11पुराने तालाबों की मरम्मत, 26 स्लुजगेट का सिस्टम, 31 नाला-बंधान और 20 टार नाली का निर्माण कर बरसात में व्यर्थ बहने वाले पानी को रोकने के प्रयास किए गए है।सिमगा में 45 किलोमीटर लम्बाई के खल्लारी नाले को जो जलग्रहण क्षेत्र में लगभग 15 किलोमीटर लम्बाई में बहता है वहां एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के तहत पांच गांवों में श्रृंखलाबध्द नाला-बंधान का कार्य किया गया और रूके पानी को पम्प द्वारा लिफ्ट कर लगभग 700 एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई की जा रही है। ग्राम पड़कीडीह के ग्रामीणों ने बताया कि पहले गांव में एक भी तालाब नहीं था। ग्रामवासियों और पशुओं की निस्तारी, पेयजल का एकमात्र स्त्रोत गांव के पास से बहने वाला नाला था। एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के तहत यहां 45 मीटर लम्बा नाला बांधकर उसके उपरी स्थल का गहरीकरण किया गया। अब नाले का जल स्तर बढ़ा गया है, वहां पांच फीट तक पानी जमा होने लगा और ग्रामवासियों की निस्तारी और पशुओं की पेयजल समस्या दूर हो गई।

गाँव वालों का कहना है कि पहले खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए पानी तालाब का मेड़ काट कर ले जाया जाता था, जिससे पानी की बरबादी के साथ -साथ मेड़ भी कमजोर हो रही थी। कृषि मंत्री के निर्देशानुसार विभाग ने इन तालाबों पर पक्का स्लुजगेट सिस्टम लगा कर वहां के किसानों का उपयोगकर्ता दल गठित किया गया। अब किसान आवश्यकता अनुसार सिंचाई के लिए पानी ले रहे है और पानी की बरबादी रूक रही है। परियोजना क्षेत्र के गांवों में जल और भूमि संरक्षण के साथ 40 ग्रामीणों को छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे- किराना दुकान, सब्जी बेचने, पानी ठेला, सायकल मरम्मत दुकान इत्यादि कार्यो के लिए 04 लाख 20 हजार रूपए का ऋण दिया गया है। सभी अपना व्यवसाय स्थापित कर लिया है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है। अब तक एक लाख 20 हजार रूपए वापस भी कर चुके है।

 

सिंचाई सुविधाओं में अग्रणी है छत्तीसगढ़-283

छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधाओं में व्यापक विकास हुआ है। जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रयासों के कारण पिछले 14 सालों  में जल संसाधन विभाग के बजट को 493 करोड़ 90 लाख रूपए से बढ़ाकर 3155 करोड़ रूपए कर दिया है। यानि  बजट में सात गुना वृद्धि हुई है। सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है। अब तक 20 लाख 59 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित की जा चुकी है। तीन वृहद सिंचाई योजना महानदी परियोजना समूह, मिनीमाता (हसदेव) बांगो परियोजना और जांके परियोजना का काम पूरा कर लिया गया है। साथ–ही- साथ छह मध्यम सिंचाई योजनाओं – कोसारटेडा, खरखरा मोहदीपाट, सुतियापाट जलाशय परियोजना, कर्रानाला बैराज, अपर जोंक परियोजना और मांड व्यपवर्तन परियोजना का भी निर्माण पूर्ण किया जा चुका है।

राज्य सरकार के प्रयासों से नदी-नालों में 440 लघु सिंचाई योजनाओं और 651 एनीकटों तथा स्टाप डेमों का भी निर्माण किया गया। इन सिंचाई परियोजनाओं से कृषि कार्यों में उल्लेखनीय सफलता मिल रही हैं। भू जल स्तर में भी सुधार हुआ है तथा सतही जल स्तर में भी व्यापक सुधार हुआ है। अभी चार वृहद सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन है, जिनमें सोंढूर, अरपा-भैंसाछार, केलो और राजीव समोदा-निसदा व्यपवर्तन योजना शामिल हैं। मध्यम सिंचाई योजनाओं के तहत मोंगरा बैराज, सूखा नाला बैराज और घुमरिया बैराज सहित लघु सिंचाई योजनाओं के तहत 418 प्रोजेक्ट और 157 एनीकट तथा स्टापडेम निर्माणाधीन है। बृजमोहन अग्रवालका मानना है कि राज्य के आय का 70 प्रतिशत भार हमारे किसान भाइयों के कंधे पर है। और कृषि के लिए सिचाई बहुत जरूरी है। इसके बिना खेती की बात करना बेईमानी होगी। इसी लिए हमारी सरकार ने नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई है। यही कारण है कि राज्य में इंटर लिकिंग परियोजना बनाई गई है। छत्तीसगढ़ में कृषि से जुड़े व्यवसायों को प्रोत्साहित करने वाले राज्य के जल संसाधन मंत्री के विभागीय तत्परता से चिराग योजना की शुरुवात की गई है। इस योजना के तहत राज्य में छह हजार कृषि उद्यमों की स्थापना की जाएगी। करीब 50 हजार युवाओं को भी चिराग योजना से जोड़कर उन्हें कृषि संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें उन्हें जैविक खेती से सम्बन्धित जानकारी दी जाएगी।

बृजमोहन ने प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने कृषि सिंचाई योजना के तहत पूरे देश में जिन 99 योजनाओं को चिन्हांकित किया है, उनमें छत्तीसगढ़ की तीन सिंचाई परियोजनाएं – केलो, खारंग और मनियारी भी शामिल हैं। इन तीनों योजनाओं का निर्माण पूर्ण होने पर 42 हजार 625 हेक्टेयर के अतिरिक्त रकबे में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा। इन 99 योजनाओं में राज्य के तीन योजनाओं को सम्मिलित करने से सबसे अधिक फायदा सतही भू जल को बरकरार रखने में होगी। प्रधानमंत्री द्वारा चयनित योजनाओं में छत्तीसगढ़ के परियोजना को शामिल करवाने में राज्य के जल संसाधन मंत्री का अहम योगदान है। उन्होंने प्रधानमंत्री को यहाँ हो रहे कृषि कार्यों और परियोजनाओं की विधिवत जानकारी प्रदान की। राज्य के भू जल और नहरों के वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया। आज छत्तीसगढ़ में मौजूद सिंचाई सुविधाओं की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होती है।

 

वृक्षों से बढ़ रही है छत्तीसगढ़ के किसानों की आय-720

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ‘साल’ वृक्ष का महत्वपूर्ण स्थान है। गाँव में रहने वाले लोगों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार साल से जुड़े उत्पादन और बिक्री को बढ़ाने के लिय सचेत है। राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रयास से छत्तीसगढ़ में ‘साल’ के पुनरूत्पादन के लिए ‘साल संवर्धन महोत्सव’ का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। इनकी विभागीय तत्परता से स्थानीय ग्रामीणों, विद्यार्थियों, ग्रामीण वनस्पति विशेषज्ञों, संयुक्त वन प्रबंधन समिति तथा वन विभाग के कर्मचारियों को सम्मिलित कर साल वाहिनी का गठन किया गया है। साल का पौधा प्राकृतिक रूप से जंगलों में बीजों से विकसित होता है। इसके दोबारा उत्पादन के लिए किये जा रहे लम्बे प्रयास के बाद छत्तीसगढ़ राज्य औषधि पादप बोर्ड के अधिकारियों को महत्वपूर्ण सफलता मिली है। साल के वृक्षों में तापमान नियंत्रण एवं भू-जल संग्रहण की अदभुत क्षमता होती है। साल वृक्ष की छांव में उगने वाला मशरूम जिसे बोड़ा के नाम से जाना जाता है जिसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मिलता है तथा  यह  800 से 1000 रूपए किलो की कीमत पर बाजारों में बिकता है। यही कारण है छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री इसके उत्पादन और बिक्री के लिए हमेशा प्रयासरत होते हैं।

साल की गोंद से धूप बनाया जाता है और इसके पत्ते छाल, फूल, बीज और जड़ का उपयोग एण्टीकेंसर, एण्टी फंगल, गैस संबंधी बीमारी, शुगर और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधि दवाओं को बनाने में किया जाता है। इसकी उपयोगिता के कारण ही कृषि मंत्री द्वारा किसानो को इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य औषधि पादप बोर्ड द्वारा साल (सरई) पौधे के पुनरूत्पादन के विषय में तैयार किए गए रिसर्च पेपर का प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान के क्षेत्र की प्रतिष्ठित पत्रिका एसएस पब्लिकेशन, डेलावारे संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में होने जा रहा है। इस साल की बजट में  वर्ष 2022 तक कृषि आय को दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया गया है। बृजमोहन इस बजट को ‘’किसान-मित्र’’ बजट के नाम से पुकारते है। किसानों की आय को दोगुनी करने संबंधी लक्ष्य को साकार करने के लिए ‘साल’ के वृक्षों के उत्पादन को बढ़ाना आवश्यक है। इस बजट में ‘साल’ के उत्पादन करने वाले  किसानों के लिए कई ख़ास बातें हैं। कृषि-क्षेत्र के लिय 11 लाख करोड़ के कर्ज का प्रस्ताव है,  जिसमें बांस को वन क्षेत्र से अलग किया। तथा 1290 करोड़ की लागत के राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरुवात होने जा रही है। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। इस मिशन के तहत ‘साल’ के वृक्षों के विकास पर ध्यान दिया जायेगा। राज्य के कृषि मंत्री ने सभी किसानों को वृक्षारोपण के लिए भी प्रेरित किया है. वृक्षों से भी आय को बढ़ाया जाता है। वृक्ष के फल उत्पादन के काम ही नहीं आता है बल्कि इनके पत्तों, छालों का भी उपयोग होता है। इनका उपयोग औषधी बनाने और सौन्दर्य प्रसाधन के सामग्री बनाने में होती है। इसलिए वृक्षों को भी आय बढ़ाने का साधन बनाया जा सकता है। हालाकि ज्यादातर किसान केवल फल उत्पादन तक ही सीमित रहते हैं।

 

 

भाजपा की नीतियों से आगे बढ़ रहा देश-253

आजादी के बाद हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने जिस संप्रभु, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की थी, उस भारत के निर्माण में भाग लेने वाले हमारे लाखों भारतीयों के लिए 6 अप्रैल का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। देश के हर क्षेत्र के नागरिक — पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के लोगों ने अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाने और गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को स्वीकार किया है। भाजपा के प्रति लोगों के बढ़ते अपार जन समर्थन के कारण पार्टी का स्थापना दिवस केवल कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया है। आज भारत सहित विश्व की निगाहें भारतीय जनता पार्टी पर टिकी हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री brijmohan ने राज्य में आयोजित समारोह में पार्टी के अब तक के 38 वर्ष के सफर को राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण बताया। 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी स्थापना दिवस मानती है।

समारोह में brijmohan agrawal भाजपा के राजनैतिक संघर्ष को याद करते हुए कहा कि समाज में समता मूलक विचारों को बढ़ाने और आर्थिक विषमता को ख़त्म करने जैसे महान उद्देश्यों के साथ 6 अप्रैल 1980 को श्री अटलबिहारी बाजपेई ने मुट्ठी भर राष्ट्रवादियों के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी। और अपने संकल्पों के लिए लोकतान्त्रिक तरीकों से हमेशा संघर्ष करते रहने के कारण आज देश के 21 प्रदेशों के लोगों ने अपनी प्रगति के लिए भाजपा के नेतृत्व पर ही भरोसा किया है। जब श्यामा प्रकाश मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी तो उस समय पार्टी में मात्र 11 लोग थे लेकिन आज करोड़ों लोग पार्टी से जुड़े हैं। आजादी के बाद देश में इतने कम समय में इतना व्यापक फैलाव भाजपा के अतिरिक्त किसी भी दूसरी पार्टी का नहीं हुआ है। क्योंकि आज देश का हर नागरिक इस बात को महसूस करता है कि जिन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई थी, आज भी पार्टी उन उद्देश्यों के लिए लोकतांत्रिक तरीकों से प्रयासरत है।

बृजमोहन अग्रवाल  का मानना है कि आज विश्व समुदाय भारत की नेतृत्व क्षमता को स्वीकार कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व के कारण आज दुनिया के निवेशकों की नजर में भारत सबसे अधिक विश्वसनीय बाजार है। आज केवल देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में सबसे अधिक लोग भारत का नेतृत्व, भारत के बाजार, भारत के विज्ञान और भारत के लोकतंत्र पर विश्वास कर रहें हैं। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने कहा कि पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते आज मैं भाजपा के महान उद्देश्यों के प्रति समर्पित होने के संकल्प को दुहराता हूँ और देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ कि हमारी पार्टी के सभी नेता, कार्यकर्ता अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक राष्ट्र निर्माण के प्रति वचनबद्ध रहेंगे । उन्होंने भाजपा के स्थापना दिवस पर पार्टी के सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं सहित देश के समस्त नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए आगामी चुनावों में भाजपा की भरी मतों से जीत होने की उम्मीद जाहिर की।

 

 

कुशल चुनावी प्रबंधक छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल-801

जिनके राजनैतिक प्रबंधन का लोहा विरोधी ही नहीं बड़े-बड़े मैनेजमेंट गुरु भी मानते हैं ऐसे कुशल चुनावी प्रबंधक हैं छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री  बृजमोहन अग्रवाल  ।   चाहे प्रदेश में हुए अब तक के विधानसभा चुनावों के रिजल्ट की बात हो या कोई भी उपचुनावजहां-जहां बृज मोहन अग्रवाल चुनाव प्रभारी रहे हैं  उस प्रत्याशी की विजय उन्होंने सुनिश्चित की है।

आज पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसा माहौल है कि प्रबल brijmohan agrawalबृजमोहन अग्रवाल जी जहां भी खड़े हो जाएं विजय स्वतः ही सुनिश्चित हो जाती है। इतना ही नहीं उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1990, 93, 98, 2003 एवं 2008 के संपन्न हुए चुनावों में रायपुर शहर की सीट पर भाजपा का आधिपत्य रहा। बृजमोहन अग्रवाल की शख्सियत कुछ ऐसी है कि जहां एक तरफ विपक्षी दल उनके सामने लगातार अपना उम्मीदवार बदलते रहे वहीं दूसरी तरफ उनकी विजय का अंतर निरंतर बढ़ता ही गया है। पिछली बार यानी साल 2013 में नए परीसीमन के बाद संपन्न चुनाव में उनकी जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा।
बताया जाता है कि brijmohan बृजमोहन अग्रवाल ने जनता से जो भी वायदे किए हैं अब तक वो सभी पूरे हुए हैं। इसलिए उनकी विश्वसनीयता का ग्राफ लगातार बढ़ता गया है जिसने उन्हें हमेशा जीत दिलाई।

जुझारू व्यक्तित्व एवं विनम्र कार्यशैली है जिनकी पहचान वो है बृजमोहन अग्रवाल-631

रायपुर दक्षिण के विधायक एवं छत्तीसगढ़ के वर्तमान कृषिजल संसाधनपशुपालनमछली पालनआयाकटधार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जी सिर्फ रायपुर के ही नहीं बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लाडले रहे और केंद्र में भी उनकी बड़ी ख्याति रही है। वे अपने काम करने की अलग शैली के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में जाने जाते हैं।

उनकी इसी शैली ने उन्हें पार्टी एवं रायपुर शहर में ही नहीं बल्कि राज्य की सीमा के बाहर भी लोकप्रियता दिलाई है। बृजमोहन बृजमोहन अग्रवाल ने पूरे प्रदेश में एक ऐसे नेता हैं जिनकी स्वीकारोक्ति आम जनमानस के बीच स्थापित हो चुकी है। वे प्रदेश के एक ऐसे सुप्रसिद्ध राजनेता हैं जो छात्र राजनीति के दौर से लेकर आज तक छत्तीसगढ़ की सेवा के लिए निरंतर समर्पित हैं।

brijmohan agrawal बृजमोहन अग्रवाल ने भारतीय जनता पार्टी में स्व. दिलीप सिंह जूदेव जी के बाद सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। फिलहाल प्रदेश के वे एक ऐसे राजनेता हैं जिनका जनाधार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बृजमोहन अग्रवाल की गिनती एक ऐसे राजनेता के रूप में होती है जो विपक्ष में रहे हों या सरकार मेंवे आम जनता के दिलों में हमेशा राज करते हैं।

 

आम जनता से जो रखते हैं सीधे नाता वो जननायक हैं बृजमोहन अग्रवाल-518

छत्तीसगढ़ के एक ऐसे राजनीतिज्ञ जिनके सामने न कोई छोटा है न कोई बड़ाजो सभी कार्यकर्ताओं को देते हैं समान महत्वउनको हम सभी श्री बृजमोहन अग्रवाल के नाम से जानते हैं।

शहर की गलियों में चाहे छोटे-छोटे कार्यक्रम हो या आम लोगों के घर सुख-दुःखमंत्री brijmohan agrawalऐसे मौकों पर अक्सर नजर आ ही जाते हैं। इसलिए रायपुर शहर के अंदर एक कहावत बड़ा ही मशहूर है कि यदि आपने बृजमोहन अग्रवाल को किसी आयोजन या समारोह के लिए निमंत्रण दिया है और वे शहर में रहे तो अवश्य ही आएंगे। इसी बात से यह साबित हो जाता है कि उन्हें जननेता क्यों कहा जाता है।

चाहे किसी का विवाह हो या अंत्येष्टि या फिर हो कोई सार्वजनकि कार्यक्रम अगर उन्हें निमंत्रित किया गया है तो वे वहां उपस्थित होने के लिए अपना कीमती समय जरूर निकलते हैं। चाहे कितनी रात ही क्यों न हो जाए उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि आयोजन कितना बड़ा है। पता नहीं वे कितने ही लोगों को नाम से जानते हैं और जब उनसे मिलते हैं तो उनसे हाथ मिलाकर उनका हाल-चाल भी पूछ लेते हैं। इतना ही नहीं रायपुर स्थित उनके निवास पर सुबह से ही मिलने वालों का तांता लगा रहता है।brijmohan बृजमोहन उन सभी फरियादियों की समस्याएं सुनकर उनके लिए कुछ न कुछ जरूर करते हैं।

इसीलिए कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ के हताश-निराश लोगों के लिए आशा के एकमात्र किरण हैं। एक और बात जो उन्हें औरों से खास बनाती है वो है प्रतिदिन दो से तीन सौ लोगों से मुलाकातघंटेभर में सौ से अधिक फोन कॉल और आंकड़ों के अनुसार उनके यहां आगंतुकों की संख्या मुख्यमंत्री से भी ज्यादा है। आम जनता से उनका नाता सबसे ख़ास है।

 

 

कर्मठता व सशक्त नेतृत्व का समिश्रण ‘बृजमोहन अग्रवाल’-823

कुछ लोग अपने कर्मठता से जाने जाते हैं। उन्हीं में से एक हैं मंत्री बृजमोहन अग्रवाल। बतौर विधायक उनके जीवन के 25 वर्ष बीत चुके हैंलेकिन आज भी उनकी दिनचर्या घड़ी के कांटे के समान है। उनके अनुसार जनता की समस्यायों का समाधान या फाईलों का जितना जल्दी निपटारा हो उनके लिए उतना ही अच्छा है। फिर चाहे इसके लिए कितना ही समय क्यों न लग जाए।

ऐसा नहीं है कि केवल मंत्री brijmohan agrawalने सत्ता में रहकर ही जनकल्याण का कार्य किया हो। साल 1993 से 2003 तक जब भाजपा विपक्ष में रही तब बृजमोहन अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली जनविरोधी कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमकर संघर्ष किया। इस दौरान साल 1997 में बृजमोहन अग्रवाल को मध्यप्रदेश राज्य विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार प्रदान किया गया।

इतना ही नहीं 1990 के उत्तरार्ध में हीरा कंपनी डी बीयर्स का विरोध करने वालों में बृजमोहन  बृजमोहन अग्रवाल जी सबसे आगे थे। उन्होंने खनन के मामले में सरकार की नीतियों का लगातार विरोध कियाजिसका नतीजा यह हुआ कि जब डी बीयर्स के अधिकारी रायपुर आए तो उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस लौटना पड़ा। यह घटना दर्शाती है कि विपक्ष में भी रहकर एक सशक्त नेतृत्व आम जनता के हितों के लिए बहुत कुछ कर सकता है।